इन वीडियोज में इंसान होते हैं जो ज्यादा परिचित और भरोसेमंद लगते हैं. साथ ही ये वीडियो अलग-अलग भाषाओं और प्लेटफॉर्म्स (Twitter, YouTube, Instagram) के लिए जनरेट किए जाते हैं. ताकि पीड़ित ‘फेक’ ऑथेंटिसिटी के झांसे में आ जाएं. ये मैलवेयर सिस्टम से सेंसिटिव इंफॉर्मेशन जैसे- पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड डिटेल, बैंक अकाउंट नबंर और दूसरे गोपनीय डेटा को चुराते हैं. (Image- ShutterStock)
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